क्लबफुट से जूझ रहे मासूम, बीआरडी नहीं कर रहा इलाज

क्लबफुट से जूझ रहे मासूम, बीआरडी नहीं कर रहा इलाज


केस एक: गगहा प्राथमिक विद्यालय में दूसरी के छात्र साहिल के पैर जन्म से टेढ़े हैं। इसका इलाज ऑपरेशन से ही हो सकता है।


केस दो: बेलघाट के प्राथमिक विद्यालय में चौथी कक्षा में पढ़ने वाले अंशुमान के पैर टेढ़े हैं। बीआरडी के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कराने की सलाह दी है।


ये दोनों मामले बानगी भर हैं। दोनों बच्चों का राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम(आरबीएसके) की टीम ने चयन किया है। ऐसे 22 मासूम हैं जिनके पैर टेढ़े हैं। ये बच्चे क्लब फुट बीमारी से जूझ रहे हैं। आरबीएसके की टीम ने सबसे पहले मासूमों को इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंचाया। जहां से डॉक्टरों ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया।


टेढ़े हो जाते हैं पैर


बीमारी से बच्चे के पैर डेढ़े- मेढ़े होने लगते हैं। सही समय पर इलाज न हो तो बच्चा जीवन भर के लिए विकलांग हो जाता है। डॉक्टरों के मुताबिक प्रसव के समय गर्भस्थ शिशु की पोजिशन (पोश्चर) सही नहीं होने के कारण बच्चों के पैर खराब हो जाते हैं। गर्भ में जुड़वां शिशु होने की दशा में इस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। हड्डियों में अनुवांशिक खामी के कारण भी ये बीमारी हो जाती हैं। गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउंड से इसका पता लगाया जा सकता है।


एनएचएम ने बजट भेजा


दो साल पहले राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने आरबीएसके द्वारा चुने गए बीमार बच्चों का इलाज कराने का फैसला किया है। आरबीएसके टीम ने क्लब-फुट और मोतियाबिन्द के 40 मरीजों की सूची बीआरडी प्रशासन को सौंपी है। इलाज के एवज में एनएचएम ने बीआरडी प्रशासन को 25 लाख रुपये भी दे दिए।


ऑपरेशन किया न रकम वापस की


आरबीएसके की रकम बीआरडी मेडिकल कॉलेज के खाते में पड़ी हुई है। दो साल में इस रकम के जरिए कॉलेज को ढाई लाख रुपये ब्याज के भी मिल गए हैं। आलम यह है कि कालेज प्रशासन ने कोई ऑपरेशन नहीं किया। इसके कारण रकम खर्च नहीं हो पा रही है।


मांग रहा है काक्लियर इम्पलांट की मंजूरी


बीआरडी प्रशासन ने एनएचएम के प्रबंध निदेशक और सीएमओ को पत्र लिखकर इस रकम से कॉक्लियर इम्पलांट कराने की मांग कर रहा है। एक इम्पलांट में पांच से छह लाख रुपये लगेंगे। ऐसे में पांच इम्पलांट में ही रकम खर्च हो जाएगी।


वर्जन


दो साल पहले बीआरडी को करेक्टिव सर्जरी के लिए 25 लाख रुपये दिए गए थे। उसमें से कितनी रकम खर्च हुई अभी तक बीआरडी ने जानकारी नहीं दी।